मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री का मसला शांत होने नही ले रहा नाम, ग्रामीण आखरी सांस तक विरोध में रहेंगे खड़े
अंबिकापुर: सरगुजा जिले के बतौली ब्लाक के ग्राम पंचायत चिरंगा में प्रस्तावित मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री का मसला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। बल्कि इस मामले ने और भी तूल पकड़ लिया है। प्रशासन की समझाइश के बावजूद प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए पहाड़ पर डेरा जमा किए है। प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि आखरी सांस तक वे फैक्ट्री के विरोध में खड़े रहेंगे।लाठी डंडे से लैस हाथ में तीर काम और राष्ट्रीय ध्वज पकड़े इन ग्रामीणों का किसी राजनीतिक दलों से तालुकात नहीं है और ये ग्रामीण ना ही किसी आंदोलन के लिए धरने पर बैठे हैं।
दरअसल ये ग्रामीण जल जंगल जमीन और अपने गांव को प्रदूषण से बचाने के लिए एक प्रस्तावित फैक्ट्री के खिलाफ पिछले 4 सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अंबिकापुर जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर बतौली ब्लाक के ग्राम पंचायत चिरंगा में मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री प्रस्तावित है। इस फैक्ट्री की स्थापना लगभग 25 सौ एकड़ में होनी है। लेकिन इस क्षेत्र में निवासरत बड़ी संख्या में ग्रामीण नहीं चाहते कि ग्राम पंचायत चिरंगा में मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री की स्थापना हो। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री की स्थापना के बाद एक तरफ जहां उनके जल जंगल जमीन को उजाड़ा जाएगा जबकि दूसरी ओर आने वाले समय में ग्रामीणों को प्रदूषण का सामना भी करना पड़ेगा जिसका असर ग्रामीणों की सेहत पर पड़ेगा। यही वहज है कि कई ग्राम पंचायत के ग्रामीण बड़ी संख्या में पिछले 4 सालों से ग्राम चिरंगा स्थित पहाड़ पर डंडा से लैस होकर और हाथ में तीर कमान लेकर डेरा जमाए हुए हैं। ताकि फैक्ट्री प्रबंधन उनकी मांद में घुसकर फैक्ट्री की स्थापना न कर सके।
ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित फैक्ट्री की स्थापना के लिए अब जमीन सीमांकन की प्रक्रिया शुरू होने के कगार पर है। प्रशासन ने सीमांकन प्रक्रिया को पूरी करने के लिए राजस्व अमले का गठन भी कर दिया। लेकिन जिला प्रशासन के सामने सीमांकन प्रक्रिया को पूरी करना किसी चट्टान को तोड़ने के बराबर है। प्रस्तावित फैक्ट्री के विरोध में मोर्चा खोले ग्रामीणों के तेवर और तैश को देख कर तो लगता नही कि जिला प्रशासन आसानी से सीमांकन प्रक्रिया को पूरी कर पायेगा। शनिवार को सुरक्षा कवच पहनकर कलेक्टर कुंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता फैक्ट्री के विरोध में पहाड़ पर बैठे ग्रामीणों से मिलने पहुंचे थे। ताकि कुछ बातचीत के जरिए बीच का रास्ता और निकल सके। लेकिन इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामीणों के विरोध और कड़क रवैये का सामना करना पड़ा। काफी देर तक हुई ग्रामीणों से बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला। हालांकि इस मामले में कलेक्टर कुंदन कुमार का कहना है कि खुद 90 ग्रामीणों के द्वारा जीमन सीमांकन के लिए आवेदन किया गया है। जबकि प्रस्तावित फैक्ट्री से संबंधित सीमांकन की प्रक्रिया से जिला प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है।
बहरहाल मां कुदरगढ़ी एलमुनियम रिफाइनरी फैक्ट्री के विरोध में कई ग्राम पंचायत के ग्रामीणों की एकजुटता को देखते हुए लगता तो नहीं की ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित फैक्ट्री को स्थापित कर पाना फैक्ट्री प्रबंधन और जिला प्रशासन के लिए आसान राह होगा.. क्योंकि जमीन सीमांकन की प्रक्रिया चर्चा में आई तब से प्रभावित गांव के ग्रामीणों में और भी आक्रोश देखने को मिल रहा है। ग्रामीण किसी भी कीमत में प्रस्तावित फैक्ट्री की स्थापना नहीं होने देना चाहते हैं..