“महिला सुरक्षा के दावों की पोल खुली: बिलासपुर में पुलिस की लापरवाही से पीड़ित महिला ने किया हंगामा”
बिलासपुर में एक शर्मनाक घटना घटी, जब एक पीड़ित महिला ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान हंगामा किया। महिला ने बताया कि एक 376 के आरोपी द्वारा उसे अपने पक्ष में बयान देने के लिए दबाव बनाया जा रहा था और घर में घुसकर मारपीट भी की गई थी।
महिला ने तीन दिन से ठाणे का चक्कर काटा, लेकिन उसका आवेदन नहीं लिया गया। थक हार के महिला ने कलेक्टर कार्यालय का रुख़ किया और अकेले धरना पर बैठ गई। इसके बाद ठाणे में शिकायत दर्ज कर एफ़आईआर लिखा गया, लेकिन उसमें कार्यवाही नहीं की गई।
यह घटना पुलिस की लापरवाही और महिला सुरक्षा की कमी को दर्शाती है। सरकार द्वारा महिला सुरक्षा की बातें की जाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यवाही नहीं की जाती। यह घटना पुलिस की दादागिरी और महिलाओं के प्रति अपराध को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।
महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के लिए जांच इकाई का गठन किया गया है, लेकिन इसकी कार्यवाही अभी भी कमजोर है। महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के लिए समय पर और कार्य कुशल जांच की आवश्यकता है।
यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सरकार और पुलिस प्रशासन महिला सुरक्षा के प्रति गंभीर हैं? क्या महिलाओं के विरूद्ध अपराधों को रोकने के लिए पर्याप्त कानून और प्रणाली हैं? इन सवालों का जवाब समाज और सरकार से मांगना चाहिए।