Sunday, November 24, 2024
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आजादी के इतने वर्ष बाद बन रहा परिचय पत्र ऐसे भी है छत्तीसगढ़ में पिछड़े एरिया

दंतेवाड़ा:- छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से अलग होकर 1 नवंबर 2000 में अलग राज्य बनकर अस्तित्व में आया नक्सलवाद छत्तीसगढ़ राज्य को सौगात में मिली। उस वक़्त बस्तर के लोगो का ये मानना था कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल होने के कारण हमारी आवाज वहां तक नही पहुचती।छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन जाने से आदिवासी बहुल इलाकों तक शासन की हर योजनाएं आसानी से पहुच सकेगी। हमारा जल जंगल जमीन हमारा खनिज संपदा होगा हमारे क्षेत्रों का विकास होगा। सरकारें बदलती रही पर यहां की तस्वीर नही बदली।आज भी यहां का आदिवासी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। उन तक आज भी सरकार की योजना तो दूर उनका पहचान पत्र यानी आधार कार्ड तक नही बना है।कही ना कही इसके जिम्मेदार माओवादी भी है उन गांव तक सरकार की योजनाएं नक्सली विरोध के चलते नही पहुच पाई। हम बात कर रहे है बैलाडीला की पहाड़ियों की तराई में बसे ऐसे सैकड़ो गांव की जहा सरकार नाम की चीज़ नही है लाल आतंक के चलते यहां तक सरकारें नही पहुच पति सुरक्षा बल के जवान कभी कभार इन इलाकों में सर्चिंग पर निकलते है। इस क्षेत्रों में विकास का सूरज कब उदय हुआ ये तो वक़्त ही बताएगा।

लावा गांव की बदलती तस्वीर,कलेक्टर ने पूरी टीम को आधार कार्ड बनाने लगाया,जल्द शासन की हर योजनाओं का मिलेगा लाभ

विकासखंड कुआकोंडा का ग्राम पंचायत हिरोली का आश्रित गांव लावा जो किरंदुल से 18 किलोमीटर की दूरी पर लाल नदी के उस पार बैलाडीला लौह अयस्क पहाड़ियों के तराई में बसा है। इस गांव में रहनेवाले आदिवसियों का आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद पहली बार पहचान पत्र बन रहा है। कलेक्टर मंयक चतुर्वेदी ने लाल नदी पर पुल बनवाने के साथ ही लावा गांव के लोगो का आधार कार्ड बनाने का संकल्प लिया और किरंदुल से लगे कोडेनार ग्राम पंचायत में शिविर लगाया। तहसीलदार जिवितेश सोरी ने इसकी कमान संभाली और लावा गांव के ग्रामीण शिविर में अपना पहचान पत्र बनाने पैदल जंगलो के रास्ते पहुचे उनमें बड़ी संख्या में महिलाएं दुधमुंहे बच्चो को लेकर आई। सिर्फ इस उमीद में की उनका पहचान पत्र बन जाये। आधार कार्ड नही होने के चलते ना उनके पास राशन कार्ड है ना वोटर आईडी कार्ड ना बैंक खाता जिसके चलते उनको सरकार की किसी भी योजनाओं का लाभ नही मिलता। कलेक्टर की पहल से अब जल्द उनका अपना पहचान पत्र होगा जिसके बाद राशन और सभी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। 12 जून बुधवार सुबह से ही इस कार्य को युद्ध स्तर पर पूरा करने नोजवान ऊर्जावान तहसीलदार जिवितेश सोरी को लगाया गया है वो खुद ग्रामीणों के फार्म भर कर आधार कार्ड बनवाते नज़र आये जिस तरहा से जिला प्रशासन इस पूरे मामले में गंभीर नज़र आ रहा है इससे ये उमीद जताई जा रही है कि जल्द लावा गांव की तस्वीर बदलेगी वहां भी पीने का साफ पानी होगा उनका खुद का पहचान पत्र होगा और उनको भी जीने का अधिकार होगा उनके पास भी सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

आधार कार्ड बनाने स्पेशल परमिशन दिया गया:-दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी के समय भी आधार कार्ड बनाने युद्ध स्तर पर पहल की गई उस दौरान कई गांव के लोग पहुचे पर बाद में पता चला कि स्पोर्टिंग दस्तावेज नही होने के कारण सबका रिजेक्ट कर दिया गया कुछ 4 – 5 बच्चो का ही बना जिसके चलते इस बार कलेक्टर मंयक चतुर्वेदी ने दिल्ली से हैदराबाद तक कि दौड़ लगा दी यहां की परिस्थितियों के बारे में बताया और वहां बैठे लोगों को इस बात पर राजी कर लिया उसके बाद तहसीलदार के हस्ताक्षर के आधार पर ही पहचान पत्र बन जायेगा जिसके लिए 30 जून तक का समय दिया गया है।

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