Saturday, April 12, 2025
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Sandalwood Tree Cutting in Ambikapur:अंबिकापुर में चंदन के पेड़ काटने से वन विभाग में मचा हड़कंप

Sandalwood Tree Cutting in Ambikapur:अंबिकापुर में चंदन के पेड़ काटने से वन विभाग में मचा हड़कंप

 

Sandalwood Tree Cutting in Ambikapur:-अंबिकापुर के वन विभाग के CCF कार्यालय के पीछे स्थित नर्सरी में चंदन के तीन बहुमूल्य पेड़ काटे जाने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। यह घटना न केवल वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे अवैध लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर वन संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस पूरे मामले ने वन विभाग की कार्यशैली और सुरक्षा तंत्र की खामियों को उजागर किया है।

अंबिकापुर वन विभाग के CCF कार्यालय के पीछे स्थित नर्सरी में चंदन के पेड़ भी हैं। यह चंदन के पेड़ न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनकी लकड़ी भी अत्यधिक कीमती होती है। बीती रात अज्ञात तस्करों ने इस नर्सरी में घुसकर चंदन के तीन पेड़ काट दिए। घटना की जानकारी तब मिली, जब सुबह किसी ने वन विभाग को इसकी सूचना दी। इस दौरान तस्करों ने मशीनों का इस्तेमाल करके पेड़ों को काटा और उनका आधा हिस्सा लेकर फरार हो गए। यह घटना वन विभाग के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि यह विभाग के कार्यालय के बिल्कुल पास हुई है, और वहां के कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी।

तस्करों ने बड़ी सफाई से नर्सरी में घुसकर पहले तीन चंदन के पेड़ों की पहचान की। चंदन के पेड़ों की लकड़ी की उच्च कीमत और मांग के चलते यह लकड़ी तस्करों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। तस्करों ने मशीनों का इस्तेमाल किया और पेड़ों को काटने में कामयाब रहे। इस घटना से साफ होता है कि तस्करों को इस नर्सरी और वन विभाग के कार्यों की पूरी जानकारी थी, और वे किसी प्रकार की रोकथाम के बिना इस अपराध को अंजाम दे गए।

यह बात बेहद चौंकाने वाली है कि वन विभाग के कर्मचारियों को घटना का पता ही नहीं चला। इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या वन विभाग के कर्मचारियों की सतर्कता में कमी थी, और क्या सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर थी कि तस्कर बेखौफ होकर कार्यालय के पास घुस आए।

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घटना की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और जांच शुरू की। मौके पर पहुंचकर, वन विभाग ने तस्करों द्वारा काटे गए पेड़ों की जांच की और पाया कि चंदन के पेड़ को काटने में उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था, जो साधारणत: किसी सामान्य व्यक्ति के पास नहीं होते। यह भी पाया गया कि पेड़ों की लकड़ी का आधा हिस्सा तस्कर लेकर फरार हो गए थे, जो यह संकेत करता है कि वे पहले से योजना बना चुके थे।

अब तक तस्करों का कोई सुराग नहीं मिल सका है, और इस घटना ने विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि अगर वन विभाग का मुख्यालय और नर्सरी सुरक्षित नहीं है, तो जंगलों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है? नर्सरी में जिस तरह से तस्करों ने इस अपराध को अंजाम दिया, उससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग की सुरक्षा में घोर लापरवाही है। नर्सरी के पास पुलिस की कोई विशेष गश्त या निगरानी नहीं थी, और यह अज्ञात तस्कर आसानी से अपना काम करके चले गए।

वन विभाग का प्रमुख कार्य है जंगलों और वन्य जीवों की सुरक्षा करना, लेकिन यदि कार्यालय के पास स्थित नर्सरी में इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं,। यह भी सवाल उठता है कि क्या वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस प्रकार के अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और संसाधन मिल रहे हैं।

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