धमधा (दुर्ग ):- धमधा क्षेत्र के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल परसबोर्ड में नौनिहालों को गुणवत्ताहीन भोजन परोसा जा रहा है और उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार की मंशा है कि बच्चों को शुद्ध और पौष्टिक आहार दिया जाए लेकिन जमीनी हकीकत जस्ट इसकी विपरीत नजर आ रही हैं भोजन बनाकर बच्चों को खिलाने की जिम्मेदारी एक स्व सहायता समूह के पास है जो जमकर मानकों की धज्जियां उड़ा कर बच्चों को घटिया भोजन खिला रही है। भोजन देख तमाम स्कूलों के बच्चे खाना खाने से ही इन्कार कर देते हैं। और तो और कुछ बच्चे अपने घर से सब्जी व रोटी लेकर स्कूल में भोजन करने को मजबूर हैं भोजन में मानकों का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है। जो साप्ताहिक चार्ट बना हुआ है उसके अनुसार भोजन नहीं बनाया जाता है। स्व सहायता समूह के द्वारा मनमर्जी तरीके से प्राथमिक व माध्यमिक शाला परसबोर्ड में मध्यान भोजन का हाल देखा तो वहां बच्चों ने बताया कि आज तक इस सत्र में उनको सिर्फ केला ,आलू ,लौकी की सब्जी मिला है, अचार ,पापड़ ,मीठा आज तक नहीं दिया गया काई बच्चे खाने से इंकार कर देते हैं और दाल पतली। जब इन स्कूलों के अध्यापकों से पूछा गया कि आप लोग शिकायत क्यों नहीं करते तो अध्यापक जो भोजन की बुराई करते हुए नहीं थक रहे थे वह विभाग को लिखने से साफ मुकर गए। उन्होंने कहा अगर हम विभाग को लिखेंगे तो हमारा ही नुकसान होगा क्योंकि स्व सहायता समूह का कहना है कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी भी इस विषय में खामोश हैं। आज तक उन्होंने आवश्यक नहीं समझा कि बच्चों को किस गुणवत्ता का खाना दिया जा रहा है और जहां खाना बन रहा है वहां की स्थिति क्या है उसका कभी जाकर मौका मुआयना करें। कुल मिलाकर इतना ही लगता है कि हरे नोटों की चमक के आगे सब कुछ सही है। स्व सहायता समूह की पहुंच ऊपर तक है उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। प्रधानाध्यापक शिकायत इसलिए नहीं करेंगे कि उन्हें अपना नुकसान होने का डर है। रह गए बच्चे जो घटिया खाना खाने को मजबूर हैं। यह व्यवस्था कब तक चलेगी और इसमें सुधार होगा या नहीं यह अब देखना होगा।
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