तमिलनाडु का एक मजदूर कुवैत में मजदूरी करता है। उसने उस दिन की घटना के बारे में बताया। उसने बताया कि जहां आग लगी, मैं वहां पास के अपार्टमेंट में रहता था। गर्मी के मौसम की वजह से ज्यादातर मजदूर नाइट शिफ्ट में काम कर रहे थे। कुछ मजदूर जो नाइट शिफ्ट के बाद तड़के लौटे थे, वे खाना बना रहे थे। जैसे ही आग लगी, यह तेजी से फैलने लगी। इमारत में मौजूद लोग आग पर काबू पाने की स्थिति में नहीं थे। वहां रहने वाले ज्यादातर लोग भारत से थे, खासकर केरल और तमिलनाडु से। मैं किसी को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था, लेकिन आग के दौरान फैले धुएं से कई लोगों को दम घुटते देखा। कुछ लोग सो रहे थे क्योंकि वह सुबह का वक्त था।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुबह 4:30 बजे निचली मंजिल के रसोई में आग लगी और तेजी से पूरे अपार्टमेंट में फैल गई। कुवैती अधिकारियों ने बताया कि वे इसकी जांच कर रहे हैं कि बिल्डिंग में आग कैसे लगी। बचे हुए लोगों ने दावा किया कि आग अचानक तेजी से फैल गई और बहुत कम समय में पूरे बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले लिया। सुबह होने के कारण सभी लोग सोए हुए थे और इमारत में बड़ी संख्या में लोगों के होने के कारण उन्हें आग से बचने का मौका ही नहीं मिला। कई लोगों की मौत धुएं से दम घुटने के कारण हुई। इस इमारत में क्षमता से कई गुना ज्यादा मजदूर रह रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने इमारत में आग की लपटें और हर दरार से धुआं निकलते देखा।
एक विशेष रूप से परेशान करने वाली घटना में एक मजदूर ने आग से बचने के लिए पांचवीं मंजिल से छलांग लगा दी और बालकनी के किनारे से टकराकर उसकी दुखद मौत हो गई। इमारत के अंदर कमरों में ज्यादा लोगों के होने के कारण उन्हें बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। सबसे ज्यादा मौतें धुएं से दम घुटने के कारण हुईं।
यह पूरी कहानी उस दिन की है। जब इमारत में आग लगी, किचन निचली मंजिल पर था और आग धीरे-धीरे पूरी बिल्डिंग में फैल गई। आस-पड़ोस के लोगों ने बताया कि सुबह 4:30 बजे जब सब सो रहे थे, मजदूर रात की शिफ्ट करके लौटे थे, कुछ खाना बना रहे थे और तभी आग लगी। देखते ही देखते आग ने पूरी बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में 45 से ज्यादा भारतीयों की मौत हो गई, जिनकी लाशों को अब वापस भारत लाया गया है।