अंबिकापुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक दूरदर्शी सोच के साथ राज्य में सुराजी गांव योजना की शुरूआत की है। योजना के अंतर्गत गौठान बने और अब ये गौठान महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क अर्थात रीपा का रूप ले चुके हैं। छत्तीसगढ़ में गौठान ,पशुधन की सुरक्षा और उनसे आर्थिक लाभ का सशक्त माध्यम बन चुके हैं। गौठानों से न सिर्फ लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि पशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं में भी कमी आई है।
गौठानों और आस पास के क्षेत्र में पशुओं के बीमार होने की स्थिति में इलाज के लिए ग्रामीणों को उन्हें सरकारी पशु अस्पताल या फिर अन्यत्र ले जाने की दुविधा रहती थी। गौठानों में पशुओं के रहने से उन्हें यहीं चिकित्सा सुविधा मिल जाती है और इस कार्य के लिए कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं बल्कि ग्रामीण महिलाएं ही सक्षम हो चुकी हैं।
रूपा जैसी ग्रामीण महिलाएं लिख रही हैं आर्थिक सशक्तीकरण की नई कहानी
सरगुजा जिले में रूपा नाम की ऐसी ही एक पशु उद्यमी सखी हैं जिन्होंने गौठान से जुड़कर पहले तो अपनी कार्यकुशलता में वृद्धि की और अब पशुओं की छोटी-मोटी बिमारियां, टीकाकरण, कृमि निवारण, कृत्रिम गर्भाधान, खान-पान आदि का कार्य कर आर्थिक रूप से भी सशक्त हो गयी हैं। पिछले दो वर्षों से रूपा ये कार्य कर रही है और अब उनके जैसी सैकड़ों महिलाएं पशु उद्यमी सखी बनकर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। इस कार्य के लिए पशु उद्यमी सखियों को सुव्यवस्थित ड्रेस, आधारभूत किट उपकरण एवं जरूरी दवाइयां उपलब्ध कराया गया है.
रूपा, सरगुजा जिले में आरती स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं। वो गौठानों में पशु चिकित्सा शिविरों में भी ड्यूटी करती हैं। टीकाकरण, डिवॉर्मिंग, बीमार पशुओं के इलाज इत्यादि कार्य करती हैं। प्रति टीकाकरण रूपा को 7 रुपये मिलते हैं और इस कार्य से प्रतिमाह रूपा को प्रतिमाह 5-6 हज़ार रुपये की आय हो जाती है।