देवी अहिल्या बाई होल्कर त्रिशताब्दीक वर्ष संस्कार सेवा समिति सरगुजा के द्वारा आज दिनांक 17/8/2024 को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कतकालो में कार्यक्रम का आयोजन 10-00बजे से प्रारम्भ किया गया कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में संस्कार सेवा समिति के सह संयोजक विश्वास कुमार तिवारी ने की कार्यक्रम के प्रारम्भ में विद्यालय के बच्चों के द्वारा देवी अहिल्या बाई के जीवन पर अपने विचार व्यक्त करने में कु. प्राची राजवाड़े, रितु राजवाड़े, हिना राजवाड़े, विमलावती राजवाड़े, सोनिया राजवाड़े, सिमरन राजवाड़े, आरती राजवाड़े, अंजू राजवाड़े, सुमित्रा नागेशिया, रिंकी राजवाड़े, आँचल राजवाड़े, नूरजहाँ, अन्नू राजवाड़े ने बहुत सुन्दर तरीके से देवी अहिल्या बाई के जीवन पर प्रकाश डाला मुख्य वक्ता मुख्य वक्ता ने देवी अहिल्या बाई के बारे में अपने सरगर्भित शब्दों में विचार व्यक्त करते हुए अपने उदबोधन में कहा की महापुरषो को अपना आदर्श बनाये उनके अंदर के गुणों को आत्मा सात करते हुए अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता हैं देवी अहिल्या बाई कुशल शासक के साथ साथ त्यागी, परोपकारी, धर्म स्थापक, उच्च व्यापारिक सोच एवं कार्य कुशल कारीगरो को वेतन देती थी की कारीगरी में कुशलता बनी रहे इंदौर के पास माहेश्वर को राजधानी के रूप में विकसित की जों आज भी अपने प्राचीन धरोहर को बनाये रखा हैं आज भी वहां का वस्त्र उद्योग विश्व प्रसिद्ध हैं देवी अहिल्या बाई ने अपने जीवन काल में धर्म स्थलों का जीर्णोद्धार का कार्य कराया जिसमे राजकोष के धन का उपयोग नहीं किया गया उसमे उन्होंने अपने स्वयं के आय से सभी कार्य को कराया उन्होंने 39 वर्षो तक शासन किया |
देवी अहिल्या बाई के आदर्शो को जीवन मे अपनाने की वर्तमान समय में आवश्यकता हैं देवी अहिल्या बाई होल्कर एक शिव भक्त भी शिव को अपना गुरु माना था कार्यक्रम का संचालन माधुरी जायसवाक के द्वारा किया गया आभार प्रदर्शन संस्था के प्रभारी प्राचार्य विगन राम पैकरा जीने किया कार्यक्रम में अरुण तिवारी, नीरज शुक्ला, पदमा शुक्ला,चंचल सिँह, अलका शुक्ला, गीता भूपाल, मोनिका कुजूर रश्मि सोनी रेखा शर्मा दीक्षा श्रीवास्तव, गीता ठाकुर, नीलू सिन्हा, हँसा कुशवाहा संगीता बंजारे अंजलि लकड़ा, उषा तिर्की विवेक त्रिपाठी, नितेश केशरी बीरेंद्र राजवाड़े, किशुन राजवाड़े एवं स्कूली छात्र छात्राओं ने कार्यक्रम में शामिल हुए |