किसी भी शहर को किसी राज्य और अन्य जिलों से जोड़ने के लिए सड़क एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है लेकिन जरा सोचिए जब यह सड़क ही दुर्घटनाओं को खुला न्यौता देने लगे तो क्या होगा ,जी हां हम एक ऐसे ही सड़क की बात कर रहे है जहां राहगीरों के लिए यह सड़क कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है क्या है पूरा मामला देखिये इस स्पेशल रिपोर्ट में सड़क पर दौड़ती सरपट वाहने यह यह नजारा है सूरजपुर से होकर गुजरी नेशनल हाइवे 43 का जो कटनी से गुमला को जोड़ती है,लेकिन इन दिनों यह सड़क हादसों का केंद्र बन गई है इस सड़क पर आये दिन हादसे किसी वाहन चालक के लापरवाही से नही बल्कि इस सड़क के कारण हो रहे है ,जी हां सही सुना आपने यह सड़क खुद हादसों का कारण है कैसे आईये आपको बताते है,
दरअसल 2018 में इस सड़क का निर्माण ठेकेदार द्वारा किया गया था शुरू से ही यह सड़क गुणवत्ता को लेकर जहां विवादों में रहा वहीं विभागीय उदासीनता के कारण इस सड़क निर्माण में जमकर अनियमिता देखने को मिली लेकिन तमाम शिकायतों के बावजूद भी जहां यह सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ वही मनमाने तरीके से नियमों को दरकिनार कर डिवाइड का निर्माण भी ठेकेदार ने अपनी मनमर्जी से कराया और थोड़ी-थोड़ी दूरी पर एक और से दूसरे जो और जाने के लिए रास्ते को छोड़ा गया जिसकी वजह से आए दिन वाहनों को मोड़ते समय वाहन ने दुर्घटनाग्रस्त हो रही है वही हल्के किस्म के रेलिंग और विद्युत पोल वाहनों की हल्की सी ठोकर लगने से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं जो सड़क पर सामने की और नुकीले रूप में निकालकर आए दिन दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं, लेकिन इस समस्या को लेकर अब तक कोई जिमेदार अधिकारी पहल करता नजर नहीं आया है ।
जिला मुख्यालय में कहने को राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारी भी अपने कार्यालय में बैठते हैं और नगरी प्रशासन विभाग भी पूरे अमले के साथ मौजूद है ,लेकिन इस समस्या को लेकर जहां राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों का रवैया उदासीन रहा है वही नगरी प्रशासन भी सिर्फ टैक्स रिकवरी खजाने को भरने पर मशगूल नजर आ रहा है,हल्की हल्के किस्म के खरीदे गए स्ट्रीट लाइट कुछ महीनो में ही अब सो पीस बनाकर इस राष्ट्रीय राजमार्ग की शोभा बढ़ाने का काम कर रहे हैं जिसकी वजह से जहां एक और टूटे हुए रेलिंग दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहे हैं वहीं स्ट्रीट लाइट नहीं जलने से सड़कों पर छाया अंधेरा दुर्घटनाओं के प्रतिशत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण सहयोग दे रहा है ।
राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों के माने तो 2018 में 32 किलोमीटर में इस सड़क का निर्माण कराया गया था संबंधित ठेकेदार के साथ विभाग का 5 सालों का अनुबंध खत्म हो चुका है जिसके कारण विभाग ने फिर से ईस्टीमेट तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजा है जिसको लेकर स्वीकृति मिलने के बाद नए ठेकेदार के माध्यम से सभी कार्यों को पूरा करने की विभागीय अधिकारी बात करते नजर आ रहे हैं ।बरहाल सुरक्षा के तमाम दावों के बीच सुगम यात्रा के लिए बनी इस सड़क पर डिवाइडरों से बाहर निकले हुए लोहे के पाइप जरूर किसी भी दुर्घटना के समय वाहन को क्षतिग्रस्त करने के साथ वाहन में सवार लोगों की जान को भी आफत में डाल सकती है ,अब देखने वाली बात होगी कि सड़को पर नज़र आये रहे ऐसे डिवाइडरों का संधारण प्रशासन पहल करके कब तक संधारित कर पाता है ।