यह कहानी है एक ऐसी मछली की, जो समुद्र की गहराई से उठकर कैलिफ़ोर्निया के तट पर आ पहुंची। जैसे ही यह मछली तट पर आई, लोगों के बीच डर की लहर दौड़ गई। यह माना जाता है कि 9 फीट लंबी यह मछली, जिसे ‘डूम्सडे फिश’ कहा जाता है, किसी बड़े विनाश का अशुभ संकेत होती है।
यह मछली समुद्र की इतनी गहराई में रहती है जहां सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती। यह पिछले तीन महीनों में तीन बार समुद्र में बहती हुई देखी गई है। ऐसा माना जाता है कि जब भी यह मछली दिखाई देती है, तो इसके बाद प्रकृति में कोई न कोई बड़ा संकट आ सकता है।
पिछले 100 वर्षों में, इस मछली को 22 बार देखा गया है। हर बार इसके देखे जाने के बाद प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला जुड़ता गया। विशेष रूप से जापान में इसे कई बार देखा गया है। यह धारणा है कि इस मछली का दिखना, समुद्री भूकंप या सुनामी जैसे विनाशकारी घटनाओं से जुड़ा होता है।
‘डूम्सडे फिश’ का वैज्ञानिक नाम और इसका महत्व
इस मछली को “ओर्फिश” के नाम से भी जाना जाता है। इसकी चांदी जैसी चमचमाती त्वचा और लंबी लहराती काया इसे विशिष्ट बनाती है। ओर्फिश की लंबाई 36 फीट तक जा सकती है और यह गहरे समुद्र में 200 से 1000 मीटर की गहराई पर रहती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह मछली समुद्र के भीतर होने वाली प्लेटों की हलचल के प्रति संवेदनशील हो सकती है। जब समुद्र की प्लेटें टकराती हैं या हिलती हैं, तो गहराई में रहने वाली यह मछली सतह के पास आ जाती है। हालांकि, इसे पूरी तरह से प्रमाणित नहीं किया जा सका है, लेकिन जापान और अन्य क्षेत्रों में इस मछली के दिखने के बाद भूकंप और सुनामी की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
पौराणिक और सांस्कृतिक मान्यताएं
जापान में, इसे ‘रीयुगु नो त्सुकाइ’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘ड्रैगन पैलेस का दूत’। यहां के लोग मानते हैं कि जब भी यह मछली तट पर आती है, तो यह आने वाले संकट का संकेत होती है। अन्य संस्कृतियों में भी इस मछली को रहस्यमय और अलौकिक शक्तियों से जोड़ा जाता है।
क्या यह सच में खतरे का संकेत है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि ओर्फिश का सतह पर आना गहराई में होने वाले पर्यावरणीय बदलावों का संकेत हो सकता है। हालांकि, इसे आपदाओं से जोड़ना अभी तक अंधविश्वास ही माना गया है।
फिर भी, यह मछली अपने विशाल आकार और दुर्लभता के कारण दुनिया भर में रहस्य और डर का कारण बनी हुई है। चाहे यह किसी आपदा का संकेत हो या नहीं, लेकिन इसके दिखाई देने पर चर्चा जरूर छिड़ जाती है।
क्या यह ‘डूम्सडे फिश’ वास्तव में विनाश की कहानी सुनाती है, या यह मात्र एक संयोग है? यह प्रश्न आज भी अनसुलझा है।